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दीपावली पर राम या लक्ष्मी? 

RAM YA LAXMI

दिवाली, जिसे हम “दीयों का त्योहार” कहते हैं, राम के अयोध्या लौटने की याद में मनाई जाती है। फिर भी अधिकांश घरों में दिवाली की रात लक्ष्मी पूजा होती है, जबकि राम–सीता की पूजा नहीं। यह सवाल अक्सर उठता है — आखिर क्यों?

१. लक्ष्मी पूजा का ऐतिहासिक कारण:

 

पुराने समय में दिवाली का मूल उद्देश्य अंधकार पर प्रकाश की जीत

और साल की समाप्ति पर धन और समृद्धि का स्वागत था।

  • दीयों का प्रचलन, सफाई और सजावट केवल राम के स्वागत के

       लिए नहीं, बल्कि लक्ष्मी को घर बुलाने के लिए शुरू हुआ।

  • शास्त्रों में कहा गया है कि अमावस्या की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी

  • पर भ्रमण करती हैं और साफ-सुथरे, शांति वाले घरों में निवास

       करती हैं।

  • इस कारण, घरों को सजाना, साफ करना और दीपक जलाना

      लक्ष्मी के स्वागत का अनुष्ठान बन गया।

 

 

२. क्यों राम–सीता की पूजा नहीं?

राम–सीता की कथा निश्चित रूप से दिवाली से जुड़ी है, लेकिन

उनका स्वागत कथा, नाटक और उत्सव के रूप में होता था:

  • राम का अयोध्या लौटना मुख्य रूप से लोक उत्सव और नगर

  • सजावट के माध्यम से मनाया जाता था।

  • घरों में पूजा का स्वरूप धीरे-धीरे लक्ष्मी पूजन में बदल गया,

  • क्योंकि लक्ष्मी प्रत्यक्ष रूप से जीवन और घर की समृद्धि से जुड़ी थीं।

  • राम–सीता की पूजा अधिकतर मंदिरों और रामलीला में होती रही

  • जबकि घर-घर पर लक्ष्मी पूजा व्यावहारिक लाभ और

  • कल्याण की प्रतीक बन गई।

 

 

३. सामाजिक और आर्थिक कारण

  • पुराने समय में दिवाली वाणिज्य और व्यापार का भी उत्सव था।

  • व्यापारी वर्ग दिवाली पर लेखा-जोखा बंद करके नए साल की

  • शुरुआत लक्ष्मी पूजन से करते थे।

  • इस परंपरा ने घरों में भी जन्म लिया — लोग सोचने लगे कि

  • दिवाली की रात लक्ष्मी को खुश करना ज़रूरी है, ताकि आने

  • वाला साल धन और सुख से भरा हो।

 

 

४. राम–सीता और लक्ष्मी दोनों का संदेश

  • राम लौटे — सत्य, धर्म और आदर्श जीवन का प्रतीक

  • लक्ष्मी आईं — संपत्ति, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक

इसलिए घरों में लक्ष्मी पूजा और मंदिरों/सामाजिक कार्यक्रमों में

राम–सीता की कथा — दोनों साथ-साथ चलती हैं।
दिवाली का असली उद्देश्य यही है: अंधकार मिटाना और जीवन में

रोशनी फैलाना, चाहे वह धन और सुख के रूप में हो या धर्म और

नैतिकता के रूप में।

 

 

✨ निष्कर्ष

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा इसलिए शुरू हुई क्योंकि यह घर और जीवन की समृद्धि का प्रत्यक्ष प्रतीक बन गई।
राम–सीता की पूजा, जो त्योहार की पृष्ठभूमि है, मुख्य रूप से कथा,

उत्सव और नैतिक शिक्षा के लिए रही।

आज भी हम दिवाली में दीपक जलाकर राम का स्वागत करते हैं और

लक्ष्मी पूजा करके घर और जीवन में खुशहाली सुनिश्चित करते हैं।
इस तरह दिवाली का संदेश हमेशा एक ही है — अंधकार पर प्रकाश

की विजय और जीवन में समृद्धि।

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