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🪔 प्रथ्वी पर भ्रमण करती लक्ष्मी को घर कैसे बुलाएँ?

दिवाली का त्योहार केवल अंधकार पर प्रकाश की विजय नहीं है, बल्कि समृद्धि, सुख और शांति का प्रतीक भी है। इस दिन घरों में मुख्य रूप से माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

पौराणिक कथाओं और वेदों की माने तो ऐसा कहा जाता है कि माँ लक्ष्मी दिवाली वाले दिन पृथ्वी पर भ्रमण करने आती हैं।
इसलिए इस दिन घर को साफ-सुथरा और उज्जवल बनाकर उनका स्वागत किया जाता है।

लक्ष्मी का महत्व और उनका भ्रमण भागवत पुराण में वर्णन है कि लक्ष्मी माता शुद्ध और उज्जवल घरों में ही निवास करती हैं। विष्णु पुराण में कहा गया है कि जो घर साफ-सुथरा और सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है, वहाँ लक्ष्मी वास करती हैं।

लक्ष्मी केवल धन और भौतिक समृद्धि की देवी नहीं हैं, बल्कि संपूर्ण कल्याण और पुण्य का प्रतीक हैं।

संदर्भ: भागवत पुराण, स्कंद ३, अध्याय १०
“शुद्धगृहेषु वासं करोति लक्ष्मीः”
(शुद्ध घरों में लक्ष्मी वास करती हैं।)


घर को लक्ष्मी के स्वागत योग्य बनाना

 

  • घर की सफाई

  • घर को धूल और अव्यवस्था से मुक्त करें।

  • दीवारों और फर्श को साफ रखें।

  • पुराने और टूटे सामान को हटाना शुभ माना गया है।

 


दीपक और प्रकाश

  • दीयों से घर के अंधेरे को दूर करें।

  • दीपक जलाना लक्ष्मी को मार्ग दिखाने का प्रतीक है।


पूजा सामग्री
 

  • हल्दी, अक्षत, फूल, नारियल और इत्र का प्रयोग करें।

  • घर के मुख्य स्थान पर साफ़ वस्त्र बिछाकर पूजा स्थान तैयार करें।


शुभ विचार और व्यवहार
 

  • पूजा के समय सकारात्मक विचार और भावनाएँ रखें।

  • लक्ष्मी पूजन केवल धन के लिए नहीं, सद्गुण और कल्याण के लिए भी होता है।


दिवाली का समय और महत्व
 

  • कार्तिक अमावस्या की रात लक्ष्मी माता पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं।

  • यह रात अमावस्या (नई चंद्रमा की रात) होती है, जब अंधकार अधिक होता है।

  • दीपक जलाकर, सफाई करके और मन को शुद्ध रखकर हम उन्हें आमंत्रित करते हैं।


    दोहा:
          “दीप जलाएँ घर उजला करो, लक्ष्मी माता को आमंत्रित करो।
         सुख, समृद्धि और शांति का आगमन हर घर में करो।”



लक्ष्मी पूजन का आध्यात्मिक संदेश

 

लक्ष्मी केवल धन की देवी नहीं हैं, बल्कि संपूर्ण समृद्धि, सुख और नैतिकता का प्रतीक हैं। उनका स्वागत केवल पूजा और दीपक से नहीं, बल्कि मन की शुद्धता, सकारात्मक विचार और पुण्य कर्म से भी होता है। इस दिन लक्ष्मी पूजन करने का उद्देश्य है अंधकार पर प्रकाश और अशुद्धि पर शुद्धि।


निष्कर्ष

माँ लक्ष्मी प्रथ्वी पर भ्रमण करती हैं, और स्वच्छ, उज्जवल और शुभ वातावरण में निवास करती हैं।

घर की सफाई, दीपक, पूजा सामग्री और सकारात्मक भावनाएँ उनके स्वागत के लिए आवश्यक हैं।

दिवाली केवल उत्सव नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश और जीवन में समृद्धि लाने का अवसर है।

सार:
“साफ घर, उज्जवल दीप, पुण्य भाव और सद्गुण —
यही हैं लक्ष्मी माता के स्वागत के उपाय।”

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